Thursday, February 12, 2009
पंचमुखी हनुमान मंदिर की जगह कबड्डी खेला करते थे
सबकुछ तकदीर पर ही नहीं छोड़ना चाहिए, इंसान के लिए यह जरूरी है कि वो वक्त का फायदा उठाए। जो व्यक्ति तकदीर के भरोसे जीवन छोड़कर बेपरवाह हो जाता है, उम्र का कोई न कोई पड़ाव उसे व्यर्थ में गवाए समय का अहसास जरूर करवाता है। पुरानी आबादी निवासी 70 वषीüय पालाराम का कहना है कि इंसान को वक्त की कद्र करनी चाहिए। क्योंकि समय पर बहुत कुछ निर्भर है। जब उनसे बचपन की खट्टी-मीठी यादों के बारे में बात की गई तो उन्होंने बताया कि छोटी उम्र में ही घर के पशुओं को चराना सीख लिया था। आज तो बच्चे का दिन स्कूल, ट्यूशन व सोने में ही बीत जाता है, तब तो छोटे-छोटे बच्चे भी घर के कामकाज में हाथ बंटाते थे। वे बताते हैं कि आजकल क्रिकेट का जुनून हर युवा के सिर पर सवार है। तब तो कबड्डी का ही प्रचलन था। पुरानी आबादी स्थित पंचमुखी हनुमान मंदिर तो अब बना है, इससे पहले यहां युवक कबड्डी खेला करते थे। उन्होंने बताया कि पुरानी आबादी स्थित कुएं पर गणगौर पर्व बड़े धूमधाम से मनाया जाता था, लेकिन अब गणगौर के प्रति वो रौनक देखने को नहीं मिलती। लोगों का जो इस पर्व के प्रति उत्साह था, वो अब नहीं रहा। समय के साथ-साथ बहुत कुछ बदल चुका है। कमाई के साथ घर खर्च में भी वृद्धि हुई है। उन्होंने बताया कि बुजुगाüवस्था में अब यादें ही हैं जो कई बार आंखों के सामने आ जाती हैं। बीते दिन चाहे सुख में बीते हों या दुख में, उनके बारे में यदि कोई बात करे तो अच्छा भी लगता है।
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