
गुजरे दिन की यादें नितांत अकेलेपन की उदासी को कम करती हैं। इसलिए उनके साथ जुड़ाव बनाए रखना चाहिए। करीब 76 वषीüय महेंद्र सेठी बताते हैं कि कई दफा अकेलापन खाने को दौड़ता है, तो पुरानी बातें याद आती हैं। यदि कोई पुराने समय के बारे में पूछे तो इसका अलग ही आनंद है। जवाहरनगर स्थित सात नंब्ार सेक्टर निवासी महेंद्र सेठी ने अनुभवों व यादों को साझा करते हुए बताया कि आज तो अनेक प्रकार की सçब्जयां घर में बनाई जाती हैं, तब केवल आलू-प्याज, कड़ी व दाल ही बनाया करते थे। वे बताते हैं कि 1960 में गर्वमेंट गल्र्स कॉलेज की जगह पुलिस लाइन हुआ करती थी। प्राचीन शिवालय में जमींदार रुका करते थे। उन्होंने बताया कि तब धनाढ्य लोगों के यहां कुएं हुआ करते थे, जहां कई लोगों को पीने के लिए पानी मिलता था। बड़ा मंदिर स्कूल के समीप भी दो बड़े कुएं हुआ करते थे। गंगनहर आने से पहले यहां के लोग गुमजाल से पानी लेने के लिए जाया करते थे। ऊंट-बैलगाडि़यों पर पानी लादकर यहां लाया जाता था। आवागमन के साधन आज के मुकाबले बहुत कम थे। ज्यादातर लोग पैदल या साइकिल पर आते-जाते थे। धनाढ्य वर्ग घोड़े पालते थे, जिनके जरिए रिश्तेदारों व अन्य जगहों पर आना-जाना होता था। कई लोगों के पास बग्गी भी हुआ करती थी। आज लग्जरी कारों पर बैठने में लोग अपनी शान समझते हैं, तब बग्गी व घोड़ों पर बैठना शान समझा जाता था। वे कहते हैं कि आज वक्त बदल चुका है, पहले साधारण रहन-सहन था, अब नई टैçक्नकों की भांति लोग जीवन-यापन में भी परिवर्तन करते जा रहे हैं।
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