Thursday, January 29, 2009

`मशीन वाला ठेला´ देखकर हैरान रह गए थे लोग

वो भी वक्त ही था, जब लोगों कोसों दूर तक पैदल या फिर बैलगाड़ी के सहारे से आया-जाया करते थे, लेकिन आज तो बच्चों को पढ़ने जाने के लिए भी मोटरसाइकिल चाहिए। उम्र के 77वें वर्ष में प्रवेश कर चुके करणपुर निवासी कश्मीरीलाल डंग आज के समय हो रहे अनावश्यक खचेü को आने वाले कल की बबाüदी मानते हैं। हिंदी, पंजाबी व उदूü सहित कई अन्य भाषाओं के जानकार कश्मीरीलाल बीते कल को यादों के रूप में समेटे हुए हैं। करीब पचास साल पहले की बातों को छेड़ते हुए वे कहते हैं कि बैलगाड़ी के अलावा आवागमन का कोई प्रमुख साधन नहीं हुआ करता था। उनके कस्बे में पहली बार जीप को सांसद बारूपाल लाए थे, जिसके देखकर लोग हैरान रह गए और लोगों ने उसे `मशीन वाला ठेला´ नाम दिया। काफी समय तक लोग जीप को मशीन वाला ठेला कहा करते थे, बाद में जीप नाम का इस्तेमाल किया जाने लगा। वे बताते हैं कि आज चुनावों पर जो खर्च हो रहा है, पहले ऐसा नहीं था। ना तो विवाद होता था और ना ही प्रचार के लिए इतना खर्च। तब तो हाथ खड़ा करके सरपंच चुन लिया जाता था। प्रतिद्वंद्वता जैसी स्थिति कम देखने को मिलती थी। उन्होंने बताया कि 18 साल की उम्र में उनका विवाह हुआ था और 26वें साल तक वे पांच बच्चों के पिता बन चुके थे। तब बड़े परिवार का आसानी से पालन-पोषण हो जाया करता था, लेकिन आज के समय में ऐसा संभव नहीं है। परिवार जितना छोटा हो, उतना ही सुखी रहता है।

5 comments:

  1. बहुत सुंदर…आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्‍लाग जगत में स्‍वागत है…..आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्‍दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्‍दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्‍त करेंगे …..हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।

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  2. This is the sped of time..........I think no one can stop it

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  3. हा...हा...हा। मशीन वाला ठेला... हां सही तो है ना? वाकई समय की रफ्तार गजब की है।

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  4. समय की रफ्तार को कौन रोक सका है। लेख के लिए स्वागत है।
    श्याम बाबू शर्मा
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